गौरी शंकर रुद्राक्ष
प्राकतिक रूप से जुड़े दो रुद्राक्षों को गौरी – शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है !
गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती एवं भगवान शिव का स्वरुप माना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह रुद्राक्ष शिव पार्वती जी की एक अदभुत संगम का रुप है।
इसे धारण करने से सभी प्रकार के दांपत्य सुखों की प्राप्ति होती है। जीवन साथी रुप में यह रुद्राक्ष पति -पत्नी के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है तथा उनमें एकात्म का भाव जागृत करता है. दांपत्य सुख एव्म शांति के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष को सर्वश्रेष्ट माना जाता है।
यह अंतर्दृष्टि को विकसित करने के लिए उपयोगी है, हमारे स्वयं की कमी को पहचानने में तथा अपनी कमियों को दूर करने में मदद करता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष के लाभ
• गौरी शंकर रुद्राक्ष रुद्राक्ष को उपयोग में लाने से भगवान शिव और माता पार्वती जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा यह मोक्ष प्राप्ति में भी लाभदायी है।
• गौरी शंकर रुद्राक्ष रुद्राक्ष को तिजोरी में रखें किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक क्षति नहीं होगी, आप उन्नति प्राप्त कर सकेंगे, यह रुद्राक्ष पूजा घर में रखना अत्यंत उत्तम होता है.
• गौरी शंकर रूद्राक्ष बुरे सपनों एवं बुरी ताक़तों से मुक्त करता है।
• जिनके विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए।
• गौरीशंकर रूद्राक्ष पहनने से रिश्तों में मज़बूती आती है, यह परिवार के रिश्तों को बढ़ाता है। उन सभी के लिए जो एक सुखी विवाहित जीवन और परिवार में सुख और शांति का वास चाहते हैं उन सभी के लिए यह अमूल्य रुद्राक्ष है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष का मंत्र-:
ॐ गौरीशंकराय नमः ,
रुद्राक्ष धारण करने की विधि
सर्वप्रथम रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष, जो भी आप धारण करना चाहते हैं, उसें शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन धारण करें।
रुद्राक्ष को गंगाजल, दूध से स्नान कराएं तथा “ॐ नमः शिवाय” इस पंचाक्षर मंत्र का जाप करते रहें. शुद्ध करके इस चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प अर्पित करें तथा धूप, दीप दिखाकर पूजन करके अभिमंत्रित करे।.
रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श कराकर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके मंत्र जाप करते हुए इसे धारण करें।
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